शनिवार, 15 जनवरी 2011

क्या था महाभारत काल में अक्षौहिणी सेना का अर्थ

जैसे आजकल सेनाओं की क्षमता या गिनती स्कवैड्रन या बैटैल्यैन से आंकी जाती है उसी तरह महाभारत काल में "अक्षौहिणी" से सेना की क्षमता का आकलन होता था। अक्षौहिणी, सेना की एक संपूर्ण इकाई को कहा जाता था। इसके चार अभिन्न अंग होते थे। पदाति यानि पैदल सैनिक, अश्वारोही यनि घुड़सवार सैनिक, गजारूढ यानि हाथी पर सवार योद्धा और रथारूढ यानि रथ पर सवार योद्धा।

अक्षौहिणी की पहली इकाई होती थी 'पतंग'। इसमें एक रथ, एक गज, तीन अश्व और पांच पैदल सैनिक होते थे। इसके बाद होता था 'सेनामुख, जो तीन पतंगों से मिल कर बनता था। तीन सेनामुखों का एक 'गुल्म' होता था। इसी प्रकार तीन गुल्मों का एक 'गण' बनता था। तीन ही गणों की एक वाहिनी और तीन वाहिनियों का एक 'प्रत्ना'। तीन प्रत्नों का एक 'चमू' और तीन ही चमुओं की एक 'अनीकिनी' बनती थी। इस प्रकार दस अनीकिनियों को मिला कर एक अक्षौहिणी सेना तैयार होती थी।

इसमें चारों अंगों के 218700 सैनिक बराबर-बराबर बंटे हुए होते थे। प्रत्येक इकाई का एक प्रमुख होता था जैसे पतंग पति, सेनामुख नायक, गुल्म नायक, वाहिनीपति, प्रत्नापति, चमुपति और अनीकिकीपति ये नायक रथी हुआ करते थे।

अक्षौहिणी सेना की रचना धनुर्वेद के अनुसार की जाती थी। यह महाभारत के युद्ध की सबसे बड़ी इकाई थी। महाकाव्य महाभारत के अनुसार इस युद्ध में अठारह अक्षौहिणी सेना ने भाग लिया था, जिसमें सात अक्षौहिणी सेना पांड़वों की थी जिसका नियंत्रण युधिष्ठिर के पास था तथा ग्यारह अक्षौहिणी कौरवों की जिसे दुर्योधन का नेतृत्व प्राप्त था।

इस प्रकार देखें तो पांडवों के पास - 153090 रथ, 153090 गज, 459270 अश्व और 765270 पैदल सैनिक थे।
इसी प्रकार कौरवों के पास - 240570 रथ, 240570 हथी, 721710 घोड़े तथा 1202850 पैदल सैनिकों की ताकत थी।

10 टिप्‍पणियां:

मनोज कुमार ने कहा…

एक नई और रोचक जानकारी मिली।

दर्शन कौर धनोय ने कहा…

अदभुत जानकारी के लिए शुक्रिया |

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

शोधपरक जानकारी के लिए धन्यवाद।
बिल्कुल अलग-सी जानकारी, ज्ञानवर्द्धक और रोचक।

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

अरे वाह..

प्रतुल वशिष्ठ ने कहा…

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आज ही सुज्ञ जी के ब्लॉग पर 'कटी पतंग' नामक पोस्ट पर पतंग के विविध अर्थों पर चिंतन किया था.
लेकिन मेरे शब्दकोष में 'पतंग' शब्द का आप द्वारा उपलब्ध कराये अर्थ की कमी थी. बेहद प्रसन्नता हुई एक एक नया अर्थ पाकर. मेरे पूरे दिन में किये चिंतन का प्रसाद इस रूप में मिलेगा मुझे आशा न थी. आप न केवल संस्कृति के पुजारी हैं बल्कि शोधक आचार्य भी हैं. मुझे आपसे काफी कुछ सीखने को मिलेगा.

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राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत ही सुंदर जानकारी जी धन्यवाद

Rahul Singh ने कहा…

इस जानकारी का स्रोत महाभारत है या और कोई.

सहज समाधि आश्रम ने कहा…

प्रसंशनीय प्रस्तुति है ।
धन्यवाद ।
satguru-satykikhoj.blogspot.com

Unknown ने कहा…

बहुत ही रोचक तथा ज्ञानवर्धक जानकारी!

G.N.SHAW ने कहा…

isi sansakar se ota prot aaj ke kam-kaj bhi hai senao me.
आप-बीती-०५ .रमता योगी-बहता पानी

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