शनिवार, 16 अक्तूबर 2010

"माँ सिद्धिदात्री" जिनकी अनुकंपा से शिवजी अर्धनारीश्वर कहलाए.

नवरात्र-पूजन के नवें दिन "मां सिद्धिदात्री" की पूजा का विधान है।
मार्कण्डेयपुराण के अनुसार अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, इशित्व और वशित्व , ये आठ प्रकार की सिद्धियां होती हैं। मां इन सभी प्रकार की सिद्धियों को देनेवाली हैं। इनकी उपासना पूर्ण कर लेने पर भक्तों और साधकों की लौकिक-परलौकिक कोई भी कामना अधूरी नहीं रह जाती। परन्तु मां सिद्धिदात्री के कृपापात्रों के मन में किसी तरह की इच्छा बची भी नही रह जाती है। वह विषय-भोग-शून्य हो जाता है। मां का सानिध्य ही उसका सर्वस्व हो जाता है। संसार में व्याप्त समस्त दुखों से छुटकारा पाकर इस जीवन में सुख भोग कर मोक्ष को भी प्राप्त करने की क्षमता आराधक को प्राप्त हो जाती है। इस अवस्था को पाने के लिए निरंतर नियमबद्ध रह कर मां की उपासना करनी चाहिए।

मां सिद्धिदात्री कमलासन पर विराजमान हैं। इनकी चार भुजाएं हैं। ऊपरवाले दाहिने हाथ में गदा तथा नीचेवाले दाहिने हाथ में चक्र है। ऊपरवाले बायें हाथ में कमल पुष्प तथा नीचेवाले हाथ में शंख है। इनका वाहन सिंह है। देवी पुराण के अनुसार भगवान शिव को भी इन्हीं की कृपा से ही सारी सिद्धियों की प्राप्ति हुई थी। इनकी ही अनुकंपा से शिवजी का आधा शरीर देवी का हुआ था और वे "अर्धनारीश्वर" कहलाये थे।

सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि ।
सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।

4 टिप्‍पणियां:

राज भाटिय़ा ने कहा…

दशहरा की हार्दिक बधाई ओर शुभकामनाएँ!!!!

Device Independent Mobility ने कहा…

Happy Dussehra to all... good festival to Indian....

बेनामी ने कहा…

nice post..

Mere blog par bhi sawaagat hai aapka.....

http://asilentsilence.blogspot.com/

http://bannedarea.blogspot.com/

Music Sunne or Download karne ke liye Visit karein...
Download Direct Hindi Music Songs And Ghazals

The cost of enterprise mobility solutions ने कहा…

nice article....

विशिष्ट पोस्ट

विलुप्ति की कगार पर पारंपरिक कलाएं, बीन वादन

आए दिन कोई ना कोई कलाकार, स्टैंडिंग कॉमेडियन या कोई संस्था अपने साथ कुछ लोगों को साथ ले विदेश में कार्यक्रमों का आयोजन करते रहते हैं, ऐसे लो...