शनिवार, 2 अक्तूबर 2010

कहाँ गए ऐसे लोग

उन दिनों गांधीजी तथा सरदार पटेल नरवदा जेल में थे। दोनों सुबह-सुबह नीम की दातुन किया करते थे। इसके लिए पटेल वहीं के पेड़ से रोज दातुन बना लिया करते थे। यह देख गांधीजी ने कहा, रोज-रोज दातुन लाने की जरूरत नहीं है। इस्तेमाल किया हुआ हिस्सा काट देने से दातुन बहुत दिनों तक चल सकती है। पटेल ने कहा, पर यहां नीम की बहुत सी टहनियां उपलब्ध हैं। गांधीजी ने कहा, हैं तो पर हम उनका दुरुपयोग तो नहीं कर सकते।
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एक बार गांधीजी तथा सरोजिनी नायड़ू आगा खां महल में थे। एक दिन सरोजिनीजी ने गांधीजी को अपने साथ बैड़मिंटन खेलने को कहा। सरोजिनीजी के दाहिने हाथ में कुछ तकलीफ थी सो उन्होंने अपने बायें हाथ में रैकेट थाम रखा था। इसे देख बापू ने भी अपने बायें हाथ में रैकेट पकड़ लिया। इसे देख सरोजिनीजी हंस पड़ीं और पूछने लगीं कि आपने बायें हाथ में रैकेट क्यों पकड़ा है? बापू बोले, तुमने भी तो बायें हाथ में ले रखा है। सरोजिनी बोलीं कि मेरे तो दाहीने हाथ में दर्द है इसलिए मैंने उसे बायें हाथ में लिया है। बापू ने तुरंत जवाब दिया, मैं तुम्हारी कमजोरी का लाभ नहीं उठाना चाहता।
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उन दिनों लाल बहादुर शास्त्री देश के प्रधान मंत्री थे। तभी एक प्रतिष्ठित व्यापारिक प्रतिष्ठान से उनके बड़े पुत्र हरिकृष्णजी को नौकरी की पेशकश की गयी। हरिकृष्णजी ने इसके बारे में अपने पिता लाल बहादुरजी को जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यह प्रस्ताव मेरे प्रधान मंत्री होने के कारण आया है अब यह तुम्हारे विवेक पर निर्भर करता है कि तुम यह काम करो या ना करो। यदि तुम समझते हो कि यह काम तुम्हारी लियाकत के अनुरूप है तो जरूर जाओ अन्यथा नहीं।हरिकृष्णजी ने भी बिना एक क्षण गवांए तुरंत संस्थान को मना कर दिया।

13 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

दो अक्टूबर को जन्मे,
दो भारत भाग्य विधाता।
लालबहादुर-गांधी जी से,
था जन-गण का नाता।।
इनके चरणों में श्रद्धा से,
मेरा मस्तक झुक जाता।।

आपका अख्तर खान अकेला ने कहा…

jnaab bhut khub mhtvpurn ghtnaaon ki jankariyaan di hen iske liyen hm aapke shukrguzaar hen. akhtar khan akela kota rajsthan

राज भाटिय़ा ने कहा…

लाल बहादुर शास्त्री जी जेसे नेता की सख्त जरुरत है इस देश को, नमन करता हु, इन्हे ओर गांधी जी को

समयचक्र ने कहा…

बहुत बढ़िया सामयिक प्रस्तुति ....
महात्मा गाँधी और लाल बहादुर शास्त्री जयति पर शत शत नमन

मनोज कुमार ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
तुम मांसहीन, तुम रक्त हीन, हे अस्थिशेष! तुम अस्थिहीऩ,
तुम शुद्ध बुद्ध आत्मा केवल, हे चिर पुरान हे चिर नवीन!
तुम पूर्ण इकाई जीवन की, जिसमें असार भव-शून्य लीन,
आधार अमर, होगी जिस पर, भावी संस्कृति समासीन।

कोटि-कोटि नमन बापू, ‘मनोज’ पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…


सार्थक लेखन के लिए आभार

ब्लॉग4वार्ता पर आपकी पोस्ट की चर्चा है।

विवेक सिंह ने कहा…

वो लोग और थे ।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत बढ़िया उदाहरण दिए ..जाने कहाँ हैं ऐसे लोंग ?

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

ऐसे महान व्यक्तित्व इतिहास के पन्नों पर जीवित हैं ...हमेशा जीवित रहेंगे...अपने आदर्शों और विचारों के रूप में ।

संगीता पुरी ने कहा…

बहुत सुंदर प्रस्‍तुति !!

अल्पना ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति

हरीश प्रकाश गुप्त ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!

मुन्नी बदनाम ने कहा…

very good darling

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