प्राचीन काल से ही हमारे पूरे देश में लोक कथाओं, गीतों, पहेलियों तथा लोकोक्तियों इत्यादि द्वारा गूढ से गूढ बातों को सरलता से समझाने की परंपरा रही है। खासकर कथा-कहानियां सदा से रोचक, भावप्रद तथा शिक्षापूर्ण होती हैं। ऐसी ही एक छत्तीसगढी लोक कथा हिंदी में प्रस्तुत है, जिसमें हास्यरस, आस्था, साहस, सूझबूझ और शिक्षा का समावेश है।
एक गांव के बाहर एक वट वृक्ष पर एक भूत रहा करता था। एक दिन कुछ गांव वालों ने पेड़ के आसपास गंदगी फैला दी। भूत इससे नाराज हो गया और उसने सारे गांव वालों को मार ड़ाला। इसी बीच गांव का एक लड़का जो अपने ननिहाल गया हुआ था, लौट कर आया तो उसने सारे गांव को सुनसान पाया। उसे कुछ समझ नहीं आया पर रात हो रही थी सो वह अपने घर के अंदर चला गया। थोड़ी देर बाद भूत घूमता-फिरता वहां आया और लड़के को देख बोला, तू कौन है जो यहां घुस आया है? मैने सारे गांव वालों को मार दिया है। तुम्हें भी मार ड़ालूंगा। मुसीबत सामने देख कर भी लड़का घबराया नहीं अपनी बुद्धी से काम लेते हुए उसने भूत से कहा, मामा मैं बहुत दिनों बाद घर लौटा हूं। थक भी बहुत गया हूं, अपने घर में मुझे थोड़ी सी जगह दे दो। मेरी मां कहा करती थी कि मामा का दिल बहुत बड़ा होता है। मुझ पर दया करो। भूत को लड़के पर तरस आ गया और उसने उसे घर में रहने की अनुमति दे दी।
इधर भूत को रोज ब्रह्माजी के यहां हाजिरी देने जाना पड़ता था। एक दिन लड़के ने उससे पूछा, मामा तुम रोज-रोज कहां जाते हो ?
मुझे रोज हाजिरी देने ब्रह्माजी के दरबार में जाना पड़ता है। भूत ने जवाब दिया।
अच्छा इस बार जाओ तो ब्रह्माजी से कह कर मेरी उम्र बढवा देना। भूत मान गया। पर दूसरे दिन उसने बताया कि वहां कहा गया है कि जिसकी जितनी उम्र होती है वह ना तो कम की जा सकती है नाहीं बढाई जा सकती है। लड़के ने सोचा कि जब दुनिया को बनाने वाले ब्रह्माजी भी किसी की उम्र कम ज्यादा नहीं कर सकते तो यह भूत मुझे कैसे मार सकता है। यह सोच एक दिन जब भूत ऊपर गया हुआ था तो लड़के ने एक मजबूत लाठी ली और भूत का इंतजार करने लगा। भूत के आते ही उसने लाठी से उसको मारना शुरु कर दिया। भूत इस अचानक आक्रमण से ड़र कर जो भागा तो फिर कभी लौट कर नहीं आया।
जैसे उस लड़के के दिन फिरे, सबके फिरैं।
इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
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7 टिप्पणियां:
आज इस मुहावरे के पीछे छिपी कथा पता चली..आभार.
...बेहतरीन!!!
सुंदर जी
बहु्त बढिया,रोचक किस्सा
राम राम
ठीक है जी!
जिसकी लाठी उसी की भैंस!
sundar lokkatha. prerak. achchha lagaa yah dekh kar, ki aapka sambandh raipur se hai. aaschary, apni kabhi mulakat naheen hui. khair, blog ka baag hai na ub.
रोचक !!
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