सोमवार, 7 सितंबर 2009

पानी की समस्या इतिहास बनने की कगार पर

चलो देर से ही सही नींद तो खुली। वैसे इसे देर भी नहीं कह सकते क्योंकी जब-जब, जो-जो, होना है। तब-तब सो-सो होता है। आखिर में सागर के अथाह जल की ओर ध्यान गया ही सरकार का। वैज्ञानिकों ने एक महत्वपूर्ण उपलब्धी हासिल कर ही ली। रोज दिल दहलाती, जी जलाती, आग उगलती खबरों के बीच ठंड़ी हवा का झोंका बन कर आयी यह खबर कि समुद्री पानी को पीने योग्य बना लिया गया है।

ऐसा नहीं है कि इससे पहले सागर से पीने का पानी बनाने की बात नहीं सोची गयी पर उस पर खर्च इतना आता था कि उसका वहन सब के बस का नहीं था। और तब ना ही इतना प्रदुषण था ना ही बोतलबंद पानी का इतना चलन। अब जब पानी दूध से भी मंहगा होता जा रहा है, तो कोई उपाय तो खोजना ही था। फिलहाल लक्षद्वीप के कावारती द्वीप के रहने वालों को सबसे पहले इसका स्वाद चखने को मिल गया है। और यह संभव हो पाया है "राष्ट्रीय समुद्र प्रौद्योगिकी संस्थान" के अथक प्रयासों के कारण। आशा है साल के खत्म होते-होते तीन संयत्र काम करना शुरु कर देंगे। एक लाख लीटर रोज की क्षमता वाले एक संयत्र ने तो 2005 से ही काम करना शुरु कर दिया है।

शुरु-शुरु में समुद्र तटीय इलाकों में इस पानी को पहुंचाने की योजना है। समुद्री पानी को पेयजल में बदलने के लिये निम्न ताप वाली "तापीय विलवणीकरण प्रणाली (L.T.T.D.) का उपयोग किया जाता है। यह प्रणाली सस्ती तथा पर्यावरण के अनुकूल है। इस योजना के सफल होने पर सरकार बड़े पैमाने पर बड़े संयत्रों को स्थापित करने की योजना बना रही है। अभी एक करोड़ लीटर रोज की क्षमता वाले संयत्र की रुपरेखा पर काम चल रहा है। सारे काम सुचारू रूप से चलते रहे तो दुनिया में कम से कम पानी की समस्या का तो स्थायी हल निकल आयेगा।

16 जून की अपनी एक पोस्ट में मुझे लगा था कि सागर की इतनी जल राशि के रहते पानी के लिये उतनी चिंता की आवश्यकता नहीं है जितनी की खोज की । सही भी है विज्ञान के इस युग में जब टायलेट का पानी साफ कर उपयोग में लाया जा सकता है तो फिर समुद्री पानी को क्यों नहीं । रही बात खर्चे की तो आज जो कीमत हम बोतलों में बंद पानी की दे रहे हैं, जिसके पूर्ण शुद्ध होने पर भी शक विद्यमान है, उससे तो सस्ता ही पड़ेगा सागर के पानी को साफ करना। आखिर अरबों लोगों, जीव-जंतुओं की प्यास का सवाल है।

13 टिप्‍पणियां:

Gyan Darpan ने कहा…

बहुत बढ़िया यह तो सबसे बड़ी समस्या थी |

राज भाटिय़ा ने कहा…

लेकिन जो पानी अब हमारे पास है पहले उसे ही साफ़ कर ले काफ़ी होगा.... लेकिन कोन सुनता है मेरी, यह तो पंगा लेगे समूंदर के पानी से ही

36solutions ने कहा…

सुखद समाचार है. समुद्री जल के पीने योग्‍य उपयोग से हमारी बहुत बड़ी समस्‍या का हल मिलेगा.
राज भाटिया जी की बातों पर भी ध्‍यान देना आवश्‍यक है, अभी पिछले दिनों ही किसी विदेशी नगर के सीवरेज के संबंध में टीवी में कार्यक्रम आ रहा था उसमें इस पानी को शुद्ध करने की बात कही गई थी, मैं कार्यक्रम पूरा नहीं देख पाया किन्‍तु इतना तो अवश्‍य है इस पर भी आन नहीं तो कल कार्य होगा और जल का एक एक बूंद उपयोग में आयेगा.

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

तो गोया अब समुद्र भी सूखने के कगार पर है:)

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" ने कहा…

यानि कि अब समुद्र देवता की वाट लगने वाली है:)

Himanshu Pandey ने कहा…

वारिधि का उपयोग होगा अब पीने योग्य जल के लिये ! समाचार सुखद है । आभार ।

Udan Tashtari ने कहा…

शायद समस्या समाधान इसी से हो.

मुकेश पाण्डेय चन्दन ने कहा…

ल है तो कल है
पानी की कमी समस्या नही बल्कि उसका सदुपयोग करना हम सीख जाये तो , धरती पर ही पानी बहुत है . वर्षा जल संरक्षण , बूँद सिंचाई , ओवरफ्लो को रोकना पानी की हर बूँद का महत्व समझे तो बात बनेगी . वरना जैसे धरती सुखा di वैसे सागर भी सुखा देंगे हम. खैर अच्छी खबर ke liye बधाई !!

Neha Pathak ने कहा…

paani ki kami nahi hai....hame rainwater harvesting apnaane ke zaroorat hai....kachree ko nadi naale me na faike...paani ko intelligently use kare to paani ki problem hi nahi hogi....

Neha Pathak ने कहा…

isi post ko newspaper amar ujala ke blog kone me padhte hue yaad aaya ki aisa hi kuchh "alag sa " me bahut pehle dekha tha....phir neeche dekha to blog ka naam "alag sa" hi likha tha.....is blog se mijhe kai rochak jaankaariyaa mili hai....gagan chachaji(sambodhan sweekare) ko dhanyawaad...

Creative Manch ने कहा…

समस्या पानी की नही बल्कि
उसका सदुपयोग की है,
धरती पर पानी बहुत है



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Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

अरे, ये तो बहुत उत्साह जनक समाचार है।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

शरद कोकास ने कहा…

देर से पढ़ी लेकिन यह खबर अच्छी खबर है ।

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