शुक्रवार, 7 अगस्त 2009

भेडिए की दादागिरी

एक बहुत पुरानी कहानी है, पर यह पूरी तरह आज अमेरिका के चरित्र को उजागर करती है :-
एक मेमना एक झरने से पानी पी रहा था। तभी उससे काफी उंचाई पर एक भेडिया कहीं से घूमता-घामता आ पहुंचा। मेमने को देखते ही उसके मुंह में पानी आ गया और वह उसे मारने का बहाना बनाते हुए मेमने को डांटते हुए बोला, अरे बेवकूफ तू मेरे पीनेवाले पानी को जूठा क्यों कर रहा है? बेचारे मेमने की हालत तो भेड़िये को देख ऐसे ही खराब हो गयी थी, फिर भी उसने साहस कर कहा, कि पानी तो ऊपर से नीचे की ओर आ रहा है, मैं उसे जूठा कैसे कर सकता हूं। यह सुन भेड़िया एकबार तो सकपका गया पर उसे तो मेमने को अपना शिकार बनाना था। झुंझला कर भेड़िये ने कहा, चलो ठीक है पर यह तो बता कि पिछले साल तूने मुझे गाली क्यूं दी थी। मेमना कुछ संभल गया था। उसने जवाब दिया, मैं पिछले साल आपको गाली कैसे दे सकता था, मैं तो अभी आठ महीने का ही हूं। अपना वार खाली जाते देख भेड़िया बुरी तरह गुस्से में आ गया और बोला, साले तूने नहीं तो तेरे बाप ने मुझे गाली दी होगी। इतना कह भेड़िये ने झपट कर मेमने को दबोच लिया और उसका काम तमाम कर दिया।
आज दुनिया में अमेरिका का रवैया भी उस भेड़िये से मिलता-जुलता है। जो भी उसके खिलाफ खड़ा होने या उसकी बात ना मानने की जुर्रत करता है, उसका हश्र कुछ-कुछ उस गरीब मेमने सा ही हो जाता है।

9 टिप्‍पणियां:

PN Subramanian ने कहा…

वैरी सिंपल जी. जिसकी लाठी उसकी भैंस.

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

सही बात है जी....आज कल यही सब तो हो रहा है.....बढिया पोस्ट है।

Udan Tashtari ने कहा…

आप तो सब जान गये. :)

विवेक रस्तोगी ने कहा…

अरे आपको तो सब पता है :)

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

kya khoob dhoya hai.
badhai.

Manisha ने कहा…

अमेरिका पर तो मेमनों ने 9/11 का हमला किया था न, तो अब मेमने इस तरह की कहानियां क्यों सुना रहे हैं।

मनीषा

Sarjeevan ने कहा…

America ki dadagiri ka lekh bohot hi aacha laga jiske ghasunne mein dumm hai ussi ka hui bol-bala hota hai.

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" ने कहा…

आजकल के छदम विज्ञान बुद्धियों पर भी ये कथा बिल्कुल सही बैठती है।

Himanshu Pandey ने कहा…

निश्चय ही । सच्ची बात ।

विशिष्ट पोस्ट

विलुप्ति की कगार पर पारंपरिक कलाएं, बीन वादन

आए दिन कोई ना कोई कलाकार, स्टैंडिंग कॉमेडियन या कोई संस्था अपने साथ कुछ लोगों को साथ ले विदेश में कार्यक्रमों का आयोजन करते रहते हैं, ऐसे लो...