शुक्रवार, 3 जुलाई 2009

बरसात गर्मी से राहत के साथ और कुछ भी लाती है

इस बार गर्मी का मौसम कुछ ज्यादा ही लंबा खिंच गया था। आखिरकार इंद्र देवता की इजाजत से बरखा रानी ने धरती पर अपने कदम रखे। मौसम सुहाना होने लगा। पेड़-पौधों ने धुल कर राहत की सांस ली, किसानों की जान में जान आयी। कवियों को नयी कविताएं सुझने लगीं। हम जैसों को भी चाय के साथ पकौड़ियों की तलब लगने लगी। बस यहीं से शुरु हो गयी बेचारे शरीर की परेशानी। इस मौसम में जठराग्नि मंद पड़ जाती है। सब अपने में मस्त थे पर शरीर साफ सुन पा रहा था बरसात के साथ आने वाली बिमारियों की पदचाप। सर्दी, खांसी, फ्लू, डायरिया, डिसेन्टरी, जोड़ों का दर्द और न जाने क्या-क्या।
इसी आवाज को हमें भी सुन स्वस्थ रहते हुए स्वस्थ रहने की प्रकृया शुरु कर देनी चाहिये। क्योंकी बिमार होकर स्वस्थ होने से अच्छा है कि बिमारी से बचने का पहले ही इंतजाम कर लिया जाये।
यहां कुछ हल्की-फुल्की हिदायतें लिख रहा हूं जिनके प्रयोग से भला ही हो सकता है बुराई कुछ भी नहीं है :-
इस मौसम में जठराग्नि मंद पड़ जाती है। रोज एक चम्मच अदरक और शहद की बराबर मात्रा लेने से फायदा रहता है।
खांसी-जुकाम में एक चम्मच हल्दी और शहद गर्म पानी के साथ लेने से राहत मिलती है।
इस मौसम में दूध, दही, फलों के रस, हरी पत्तियों वाली सब्जियों का प्रयोग बिल्कुल कम कर दें।
नीम की पत्तियों को उबाल कर उस पानी को अपने नहाने के पानी में मिला कर नहायें। इसमें झंझट लगता हो तो पानी में डेटाल जैसा कोई एंटीसेप्टिक मिला कर नहायें।
आज कल तो हर घर में पानी के फिल्टर का प्रयोग होता है। पर वह ज्यादातर पीने के पानी को साफ करने के काम में ही लिया जाता है। भंड़ारित किये हुए पानी को वैसे ही प्रयोग में ले आया जाता है। ऐसे पानी में एक फिटकरी के टुकड़े को कुछ देर घुमा कर छोड़ दें। पानी की गंदगी नीचे बैठ जायेगी।
तुलसी की पत्तियां भी जलजनित रोगों से लड़ने में सहायक होती हैं। इसकी 8-10 पत्तियां रोज चबा लेने से बहुत सी बिमारियों से बचा जा सकता है।
खाने के बाद यदि पेट में भारीपन का एहसास हो तो एक चम्मच जीरा पानी के साथ निगल लें। आधे घंटे के अंदर ही राहत मिल जायेगी।
बाहर के खाने खासकर चायनिज खाद्य पदार्थों से इन दिनों दूरी बनाये रखें। ज्यादा देर से कटे फल और सलाद का उपयोग ना करें।

11 टिप्‍पणियां:

Batangad ने कहा…

बढ़िया जानकारी दी आपने

Udan Tashtari ने कहा…

सही जानकारी दी है जनोपयोगी!!

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

इस उत्तम जानकारी के लिये आपका आभार.

रामराम.

संगीता पुरी ने कहा…

उपयोगी जानकारी भरा आलेख !!

P.N. Subramanian ने कहा…

बड़े काम की जानकारी दी है. आभार.

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

मौसम के अनुकूल लाभदायक जानकारी के लिये धन्यवाद.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

उपयोगी जानकारी के लिए आपका आभार।

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

एक चम्मच जीरा पानी के साथ निगल लें।
साबुत?

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

जानकारी अच्छी है, उपयोग कर पायें तो और अच्छी

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

दिनेश जी,
कच्चा, साबुत जीरा ही निगलना है। मैं तो इसका प्रयोग वक्त जरुरत करता ही हूं। अपने साथियों को भी लाभान्वित किया है। बिना हिचक जरुरत पड़ने पर उपयोग कर देखें।

Unknown ने कहा…

upyogi
bahut upyogi jankaari
dhnyavaad.........

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