शुक्रवार, 12 जून 2009

क्या बात है !!! है न अजीबोगरीब (-:

हम दिन भर में करीब आधा लीटर पानी का वाष्पीकरण कर देते हैं, अपनी सांस लेने की क्रिया से। पानी बचाओ अभियान वाले कहीं यह न कहने लगें कि भाई सांसें कम लो। (-:

नीली व्हेल की एक साधारण फूंक से करीब 2000 गुब्बारे फुलाए जा सकते हैं।

ज्वालामुखी का लावा 50कीमी तक ऊपर उछल जाता है।

दुनिया के सारे ऊर्जा के स्रोत, कोयला, लकड़ी, तेल, गैस इत्यादि मिल कर भी कुछ दिनों तक ही सूर्य के बराबर ऊर्जा दे सकते हैं।

हमारी चमड़ी का वजन करीब सवा तीन केजी होता है।

पर हमारी आर्टरी, कैपिलरी और वेन को फैलाया जाए तो पूरी पृथ्वी को चार बार लपेटा जा सकता है।

हमारे शरीर की सबसे छोटी हड्डी कान के अंदर होती है जो बमुश्किल चावल के दाने जितनी होती है।

11 टिप्‍पणियां:

हें प्रभु यह तेरापंथ ने कहा…

सर! ज्ञान वृद्धक जानकारी -आभार

Bhawna Kukreti ने कहा…

आपकी जानकारी मेरी लेखनी के द्वारा - हम चांवल के दाने के बराबरभी है और धरती को ४ बार लपेट भी सकते है
:)

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

बहुत सुंदर और रोचक जानकारी, धन्यवाद.

रामराम.

राज भाटिय़ा ने कहा…

शर्मा जी बहुत अच्छी जानकारियां बांट रहे है, ऎसी कई बाते है जो हमे पता नही होती.धन्यवाद

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

रोचक जानकारी. धन्यवाद.

sanjay vyas ने कहा…

रोचक और मनभावन.

Chetan ने कहा…

hamare ird-gird kai aise ajuube hain jinpar hamari nazar hi nahi jati.

नीरज मुसाफ़िर ने कहा…

हाँ जी बिलकुल अजीब है.

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर ने कहा…

ye SANSAAR ajab-gajab CHEEJON se bharaa hai.
BAHUT SUNDAR......
AAPKA YE ANDAAZ PRERNA DETA HAI.

P.N. Subramanian ने कहा…

ये कुदरत है. ज्ञान वर्धन हुआ. आभार

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

छोटी सी पोस्ट,
ढेर सारी जानकारियाँ।
कमाल है,
लोटे मैं समन्दर भर दिया है।

विशिष्ट पोस्ट

विलुप्ति की कगार पर पारंपरिक कलाएं, बीन वादन

आए दिन कोई ना कोई कलाकार, स्टैंडिंग कॉमेडियन या कोई संस्था अपने साथ कुछ लोगों को साथ ले विदेश में कार्यक्रमों का आयोजन करते रहते हैं, ऐसे लो...