सोमवार, 9 मार्च 2009

क्या लालू जी की यादाश्त कमजोर है ?

राजनीति की खबर रखने वाले भूले नहीं होंगें बिहार में कुछ वर्षों पहले दिनदहाड़े हुए एक हत्याकांड़ को। जिसमें एक ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ जिलाधिकारी जी. कृष्णैया को मौत के घाट उतार दिया गया था। इसमें बाहूबली नेता आनंद मोहन को कसूरवार पाया गया था और उसे फांसी की सजा दी गयी थी। जो बाद में आजीवन कारावास में बदल दी गयी। उस समय वहां लालू जी का राज था।
उसी आनंद मोहन की पत्नी और पार्टीनेत्री, लवली आनंद को भी उसी मामले में सजा हुई थी पर वह हाईकोर्ट से बरी हो गयी थी। तब लालू यादव ने इन दोनों पति-पत्नी को, एक दलित समाज से आए ईमानदार अफसर की हत्या करने के अपराध में फांसी दिलाने की कसम खाई थी। आज विडंबना देखिए, उसी लवली आनंद को लालू यादव की पार्टी, राजद, ने मधेपुरा या सुपौल से आगामी चुनावों लोकसभा के लिए अपना उम्मीदवार बनाने का निश्चय किया है।
क्या जनता इतनी भुलक्कड़ है या स्वच्छ राजनीति की बात करने वाले ये नेता ?

4 टिप्‍पणियां:

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } ने कहा…

कहीं भी दिमाग लगाए लेकिन राजनीती मे नहीं . ईश्वर भी इनकी चालो को नहीं भाप सकते आप तो अलग की बात है

बेनामी ने कहा…

in netao se bhagwaan bhi nahi bacha sakate.

राज भाटिय़ा ने कहा…

यह नेता तो अपना बाप भी बदल ले, असल मै यह नेता है ही नही गुंडे मवाली सारे इक्कठे हुये है.
धन्यवाद.
पता नही क्यो यह लेख भी मुझे नही मिला ??

Neha Pathak ने कहा…

Hamare netayon ne jantantra ka satyanash kar diya hai.Janta ka apne hi pratinidhiyo se vishwas uth chuka hai.

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