बुधवार, 25 फ़रवरी 2009

समाधी, तथ्य क्या है?

बहुत बार सुनने में आता है कि किसी जादुगर ने जमीन के नीचे इतना समय बिताया या किसी साधू ने भूमि में समाधी लगाई। तो आश्चर्य चकित रह जाते हैं लोग। कोई इसे दैवी शक्ति बताता है और कोई कुछ और। पर विज्ञान क्या कहता है देखें -------
भू समाधी के लिये सबसे बड़ी जरूरत होती है अभ्यास की। इसके लिये एक कमरेनुमा स्थान बनाया जाता है, जिसमें आराम से बैठा जा सके। कमरे को पानी से सींच कर दिवारें चूने से पोत दी जाती हैं। फिर उसमें दीया जला कर आक्सीजन गैस की मात्रा देख ली जाती है। समाधी लेने वाले के प्रवेश के बाद गड्ढे की छत को बांस-टाट आदि से ढ़क कर मिट्टी गोबर आदि से पोत दिया जाता है।
वैज्ञानिक आकलन के अनुसार दस फिट लंबे, दस फिट चौडे तथा दस फिट गहरे (10x10x10) गड़्ढे में 1000 घन फिट हवा रहती है। जबकि एक स्वस्थ आदमी को एक घंटे में सिर्फ 5 घन फिट हवा की जरूरत पड़ती है। जिसका सीधा अर्थ है कि उस आकार के गडढे में एक इंसान 200 घंटे यानि 8 दिन तक रह सकता है। इसके साथ-साथ विश्राम की अवस्था में श्वसन में भी कम वायू की जरूरत होती है। इसके अलावा कमरे की मिट्टी भी भुरभुरी रहती है जिससे सुक्ष्म मात्रा में ही सही, वायू का आवागमन बना रहता है। सो समाधी के लिये दृढ इच्छाशक्ति और अभ्यास के साथ-साथ मानसिक संतुलन बनाए रखना जरूरी होता है।
समाधी की तुलना अंतरिक्ष यात्रियों, टैंक में बैठे फौजियों तथा पनडुब्बियों में रहने वाले सैनिकों से की जा सकती है। काम कठिन है पर अभ्यास से संभव है।

9 टिप्‍पणियां:

विष्णु बैरागी ने कहा…

आपने तो बहुत ही नई और रोचक जानकारी दी गगनजी। नुकसान बस, एक ही होगा। अब समाधी से प्रभावित होना शून्‍यवत हो जाएगा।

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

बहुत रोचक जानकारी दी आपने. धन्यवाद.

रामराम

महेन्द्र मिश्र ने कहा…

नई और रोचक जानकारी दी है . धन्यवाद.

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } ने कहा…

सत्य घटना है एक साधू समाधी मे बैठा उसका चेला ऊपर देख भाल करता था . दो दिन बाद साधू को हार्ट अटैक पड़ गया चेला को संकेत दिया बड़ी मुश्किल से जान बची आज भी गुरु चेले गढ़ गंगा पर दिख जाते है

P.N. Subramanian ने कहा…

बड़ी अच्छी जानकारी दी गगन जी. एक ब्रॉडबैंड कनेक्शन के साथ हम लोग भी कोशिश कर सकते हैं.

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

सुब्रमणियन जी,
क्यूं रिस्क लेना, कहीं सांप-बिच्छू निकल कर नाम-पता पूछने लगे तो ?

राज भाटिय़ा ने कहा…

आप के लेख से यह सिद्ध होता है कि भारत मे साईंस बहुत पहले से है, यह सिर्फ़ अग्रेजी की वेसाखी के साहारे नही आई, यानि पहले से ही यहां मोजुद है,ज्योतिष, आदि भी तो इसी ओर सकेत करते है.
बहुत ही सुंदर जानकारी दी आप ने.
धन्यवाद

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" ने कहा…

शर्मा जी, ये तो आपने बहुत ही कमाल की जानकारी प्रदान की.........

Neha Pathak ने कहा…

विग्यान का सहारा लेकर किस प्रकार क्ई लोगो ने हमारे देश में अन्धविश्वास फैलाया हैं, इस लेख के माध्यम से देखा जा सकता हैं।

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