रविवार, 18 जनवरी 2009

अपनी औकात नही भूलनी चाहिए

अमेरिका की शह पर पाकिस्तान की धृष्टता को देख एक कहानी याद आ गयी।
एक जंगल में एक गीदड़ रहता था। दूसरों के शिकार पर उसके दिन कटा करते थे। एक दिन अचानक उसके सामने एक शेर आ गया। गीदड़ के तो देवता कूच कर गये, वह थर-थर कांपने लगा। फिर उसे क्या सूझा कि वह तुरंत शेर के पैरों में लोट गया। शेर अभी शिकार से लौटा था, उसका पेट भरा हुआ था। उसने पूछा, क्या हुआ? क्या बात है? गीदड़ बोला महाराज जंगल के जानवर मुझे बहुत तंग करते हैं। कुछ खाने जाता हूं तो मार कर भगा देते हैं। बड़ी मुसीबत में हूं , मुझे अपनी सेवा में रख लीजिए। शेर ने कहा ठीक है तुम मेरे साथ रहो। तुम्हें न खाने-पीने की चिंता रहेगी और ना किसी से ड़रने की।
उस दिन से गीदड़ के दिन फिर गये। पेट भर खाने और निश्चिन्तता के कारण वह दिनों-दिन फलने-फूलने लगा। शेर के साथ रहता देख जंगल के बाकि जानवर उससे कतराने लग गये थे, जिससे वह अपने-आप को ताकतवर समझने लग गया था। अब वह शेर को शिकार करते ध्यान से देखने लगा था। उसने पाया कि शिकार के पहले शेर की आंखें लाल हो जाती हैं, शरीर धनुष की तरह तन जाता है और वह जोर की दहाड़ मार बिजली की गति से शिकार की गर्दन पर झपट कर उसका काम तमाम कर देता है। गीदड़ को लगा कि यह तो बहुत आसान है, यह तो वह भी कर सकता है। सो एक दिन उसने शेर से कहा कि आप इतने दिनों से मेरे लिये भोजन का प्रबंध करते आये हैं ,आज मैं आप के लिये शिकार कर लाउंगा। शेर ने उसे बहुत समझाया, खतरे बताये पर गीदड़ ने उसकी एक ना मानी। हार कर शेर ने उसे इजाजत दे दी। गीदड़ मांद से निकला। कुछ ही दूरी पर उसे एक हाथी नजर आया। आज तक गीदड़ ने हाथी का मांस नहीं खाया था, क्योंकि शेर भी हाथी से कतराता था। गीदड़ ने सोचा आज इसे मार कर ले जाउंगा तो शेर खुश हो जायेगा। यह सोच वह हाथी के करीब गया, अपनी आंखें लाल करने की कोशिश की, शरीर को ताना और जोर से चिल्ला कर हाथी पर कूद गया। पर उससे टकरा कर जमीन पर गिर पड़ा। हाथी ने झुंझला कर उसकी खोपड़ी पर अपना पैर रख दिया। गीदड़ के सिर की हड़्ड़ियां चूर-चूर हो गयीं। हाथी ने जोर की चिंघाड़ भरी और जंगल में गुम हो गया।

13 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

bahut sahi kahaani hai. pakistan ke paas roji roti ka jugaad nahi..par baatein yuddh ki karta hai!! afghanistan tak pahuchne ka koi doosra raasta jis din US ko mil jayega us din...

डॉ .अनुराग ने कहा…

theek kaha ji....

P.N. Subramanian ने कहा…

काश यह सच हो जावे.

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

जो औकात भूल जाता है उसे वक्त अपनी औकात बता ही देता है।

मोहन वशिष्‍ठ ने कहा…

बहुत ही अच्‍छी कहानी शिक्षाप्रद तो है ही इसी से सीख लेनी चाहिए पाकिस्‍तान को वरना एक दिन ऐसा आएगा कि गीदड का अस्तित्‍व तो अभी भी जिंदा है लेकिन पाकिस्‍तान का पता भी नहीं चलेगा कि कभी कहीं पाकिस्‍तान नाम का भी कुछ था

Udan Tashtari ने कहा…

सच कहा-अपनी औकात नहीं भूलनी चाहिये.

महेन्द्र मिश्र ने कहा…

सच है लोगो को अपने गरेबान में झांक कर देखना चाहिए और अपनी ओकात नही भूलना चाहिए.
बिंदास दो टूक . बढ़िया बेबाक अभिव्यक्ति के लिए धन्यवाद.

संगीता पुरी ने कहा…

बिल्‍कुल सही संदर्भ में आपने यह कहानी सुनायी।

Fighter Jet ने कहा…

dukh ki baat hai ki India Hathi nahi hai...!warna is Gidar ki aukat hi kya tha..60 sal se naak me dam kar rakha hai.

sanjay vyas ने कहा…

कहानी के माध्यम से खूंटे के बल उछलने वाले बछडे को उचित नसीहत दी है. सुंदर.
मेरे ब्लॉग का समर्थन करने का धन्यवाद.

Unknown ने कहा…

bilkul sahi kaha

Arvind Gaurav ने कहा…

aap jo boyenge wahi waapas milega......

sahi kahaa hai aapne

बेनामी ने कहा…

जो औकात भूल रहा है वह भुगतेगा।

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