शनिवार, 29 नवंबर 2008

हमें नाज़ है अपने वीर जवानों पर

हमारे वीर जवानों ने फिर एक बार संकट से देश को उबारा। ये देश के सच्चे सपूत, जिस निड़रता, जिंदादिली और जज्बे से काम करते हैं, भूखे, प्यासे, उनींदे, खुद को मौत के मुंह में डाल दूसरों की जिंदगी की रक्षा करते हैं, जो खुद के परिवारों से दूर देशवासियों को चैन की नींद सुलाने की कठिन जिम्मेदारी निभाते हैं उनकी जितनी भी स्तुति की जाये कम है। पर विडंबना देखिये उन्हीं को जब आर्थिक सहूलियत देने की बात होती है तो हाय-तौबा मच जाती है।
सदन में एक दूसरे को फूटी आंखों ना सुहाने वाले नेतागण अपनी आर्थिक बढ़ोतरी पर तो बेशर्मों की तरह एक हो जाते हैं पर जब जवानों की भलाई की बात का मौका आता है तब अड़चने क्यों पेश आने लगती हैं। क्यों सेना के अधिकारियों को अपना विरोध प्रकट करना पड़ता है? क्यूं? क्यूं?

7 टिप्‍पणियां:

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

हम तो नमन करते हैं अपने जवानों को। लेकिन नेताओ की सत्ता लोलुपता ही सब चौपट करने में तुली है।

Anil Pusadkar ने कहा…

नमन करता हूँ अमर शहीदोँ को.

बेनामी ने कहा…

aisa hai mera vatan jawan karte hai jiska jatan aao ham bhi kare manan kaise laae desh me aman veer shahido ko mera shat-shat naman

बेनामी ने कहा…

bilkul sehmat hai,jab jawano ka vetan badhane ki mang hoti hai tab hi sarkari khate mein paise nahi hote,baki karodon rupiye ek neta ki security ke iye chahe kharchh o.

कुश ने कहा…

बहुत शर्मनाक है ये

राज भाटिय़ा ने कहा…

मै भी नमन करता हूँ अमर शहीदोँ को, ओर इन नेताओ को लानत.

Alpana Verma ने कहा…

'पर विडंबना देखिये उन्हीं को जब आर्थिक सहूलियत देने की बात होती है तो हाय-तौबा मच जाती है।'jee han bilukul sahi--abhi jyada din nahin hua hain is ghtana ko--badey hi dukh ki baat hai in jaanbajon ke liye in netaOn ke aisey bartaav par--


-देश के लिए शहीद होने वालों को मेरा सादर नमन है

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