मंगलवार, 4 नवंबर 2008

शहद, जिसकी तुलना अमृत से होती है

हमें शुक्रगुजार होना चाहिए उस छोटे से जीव का जिसने इतनी अमूल्य चीज से हमें अवगत कराया। यह अलग बात है कि मधुमक्खी की जिंदगी भर की मेहनत पर इंसान डाका डाल देता है अपनी भलाई के लिए।

हमारे ऋषि-मुनियों ने शहद की तुलना सदा अमृत से की है। यह एक तत्काल ऊर्जा प्रदान करने वाला पदार्थ है। प्राचीन ग्रन्थों में कहीं-कहीं मधुमक्खी की पूजा का भी वर्णन मिलता है। ठीक भी है। यह छोटा सा कीट इतनी मेहनत करता है कि हम सोच भी नहीं सकते। फूलों से मकरंद लेने के लिये मधुमक्खियां कभी-कभी आठ से दस मील का चक्कर भी लगा लेती हैं। आश्चर्य होता है प्रकृति प्रदत्त इनकी क्षमता पर। ये एक किलो शहद के लिये करीब-करीब पृथ्वी के तीन चक्करों के बराबर यात्रा कर लेती हैं। इनकी कार्य प्रणाली भी बहुत रोचक होती है। पहले मक्खियां फूलों का चुनाव करती हैं। फिर उसके मकरंद का स्वाद लेती हैं। पसंद आने पर उसे अपने पेट के पास एक थैली में जमा करती जाती हैं। थैली में मकरंद के पहुंचते ही शहद बनने की प्रक्रिया आरंभ हो जाती है। जिसे ला-ला कर ये अपने छत्ते में जमा करती जाती हैं। शहद की विषेशता है कि यह कभी भी खराब नहीं होता। वैज्ञानिकों ने मिश्र की ममीयों के पास पाये गये शहद को भी उपयोग के लायक पाया है।
भारत में इसका उपयोग प्राचीनकाल से होता आया है। रानी-महारानियां अपने सौंदर्य और यौवन को बनाए रखने के लिए शहद का उपयोग किया करती थीं। आजकल भी प्राय: हर सौंदर्य विशेषज्ञ इसके लेप का सुझाव देता है। त्वचा के लिए यह बहुत प्रभावशाली पाया गया है। आंखों की सफाई के लिए भी यह उपयोगी है। ब्रिटिश
मेडिकल जनरल की रिपोर्ट के अनुसार यह एक श्रेष्ठ जिवाणु-रोधी है। इसे किसी भी जख्म, चोट, खरोंच या जलने पर लगाया जा सकता है। इसके अलावा यह शरीर के गतिरोधों को दूर करता है। भूख बढ़ाता है। सांस की दुर्गंध दूर करता है। मुत्र संबंधी विकारों का नाश करता है। आंखों की रोशनी में वृद्धी करता है। शरीर की गरमी तथा बुढ़ापे को रोकने में मददगार है। कहते हैं कि रोज सबेरे गुनगुने पानी में एक चम्मच शहद और एक नींबू का रस लेने से मोटापा कम करने में मदद मिलती है।
हमें शुक्रगुजार होना चाहिए उस छोटे से जीव का जिसने इतनी अमूल्य चीज से हमें अवगत कराया। यह अलग बात है कि मधुमक्खी की जिंदगी भर की मेहनत पर इंसान डाका डाल देता है अपनी भलाई के लिए।

10 टिप्‍पणियां:

Aadarsh Rathore ने कहा…

वाकई ये अलग सा ब्लॉग है
इसी तरह जानकारी देते रहें

P.N. Subramanian ने कहा…

मकरन्द", इस शब्द से ही हम अपरिचित थे. बहुत अच्छी जानकारी दी है. आभार.
http://mallar.wordpress.com

जितेन्द़ भगत ने कहा…

एक साल पुराना शहद रखा हुआ था, मैंने सोचा कि‍ वो खराब हो गया होगा, पर अब सुबह-सुबह पानी के साथ लेना शुरू करूँगा।
हमेशा की तरह रोचक जानकारी।

राज भाटिय़ा ने कहा…

हमें शुक्रगुजार होना चाहिए उस छोटे से जीव का जिसने इतनी अमूल्य चीज से हमें अवगत कराया।

साथ ही हमें शुक्रगुजार होना चाहिए शर्मा जी का जिन्होने हमे इतनी अच्छी जानकारी दी.
धन्यवाद

Dr. Ashok Kumar Mishra ने कहा…

अच्छी जानकारी दी है आपने ।
अच्छा िलखा है आपने । भाव बहुत संुदर है ।

http://www.ashokvichar.blogspot.com

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत अच्छी जानकारी दी. आभार.

Alpana Verma ने कहा…

sahad ke prayog ke baare mein jitna likha jaaye kam hai--
bahut hi achchee jankari hai-

-dhnywaad

Harshad Jangla ने कहा…

Very interesting and informative article.
How do you get to know various use of Shahad in several physical complaints?
Kindly let us know.
Thanx.
-Harshad Jangla
Atlanta, USA

रंजू भाटिया ने कहा…

बहुत बढ़िया जानकारी दी है आपने

रंजना ने कहा…

itne sundar,rochak post ke liye bahut bahut aabhaar.

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