चलिए आज एक अनोखे जन्मदिन पर चलते हैं। आज प्रोफेसर स्काट ई फ़ालमैन के मानस पुत्र :-) स्माइली (-: की 26वीं सालगिरह है। उनकी गुजारिश है कि आप सब जरूर आएं। वैसे भी ना-नुकुर का सवाल ही नहीं उठता है।
आज से करीब 26 साल पहले कारनेगी मेलन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर स्काट ई फालमेन ने अपनी भावनाओं को इंटरनेट के जरिए संदेश भेजते समय प्रदर्शित करने का एक रोचक तरीका इजाद किया। उन्होंने की बोर्ड़ के तीन चिन्हों की मदद से स्माइली को जन्म दिया। ये चिन्ह थे - कोलन " : ", हायफ़न " - ", और पैरेंथीसिस" ) "।
प्रो फ़ालमैन ने एक बहस में हिस्सा लेते समय पहली बार 19 सितम्बर को इस टिप्पणी के साथ स्माइली को पोस्ट किया "मैं चेहरे पर हल्की सी मुस्कान लाने के लिए यह चिन्ह :-) प्रस्तावित करता हूं।" उनके इस प्रस्ताव को बहस में मौजूद सभी विशेषज्ञों ने हर्ष ध्वनी के साथ सहारा और स्वीकार किया। उस बहस का विषय था "इंटरनेट पर मैसेज भेजते समय अपनी भावनाओं को किस तरह प्रदर्शित किया जाए।
भाषा विशेषज्ञों का मानना है कि स्माइली और उस जैसे दूसरे चिन्हों की मदद से ई-मेल करने वालों को अपनी भावनाएं व्यक्त करने का आसान रास्ता मिल गया है। आज इंटरनेट का उपयोग करने वालों को इन चिन्हों का प्रयोग बेहद सुविधाजनक साबित हो रहा है।
जाहिर है अपने मानस पुत्र की इतनी सफलता देख प्रो फ़ालमैन फूले नहीं समाते हैं।
इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
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3 टिप्पणियां:
arre ....apne to bahut achchi jaankaari di hai.....) bahut sunder
alag seeeeeeeeee
रोचक जानकारी...हम भी इस अजूबा जन्म दिन की बधाई दे देते हैं.
अरे वाह, हैप्पी बड्डे टु स्माइली!
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